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Food & Pregnancy (आहार और गर्भावस्था)

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आहार संबंधी विचार

आहार यह सभी के लिये रोचक विषय है। लेकिन गर्भावस्था में इसका विशेष खयाल रखना जरूरी होता है। माँ अर्थात गर्भवती स्त्री जो आहार ग्रहण करती है उसका परिणाम गर्भ के अंदर पल-बढ़ रहे गर्भस्थ शिशु के ऊपर होता है। अत: इसके बारे में विशेष खयाल रखना जरुरी है। इस Lively Parenting के ब्लाग के जरिए कुछ विशेष टिप्पणी कर मार्गदर्शन करने की चेष्टा कर रहा हूँ। 

 

गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त आहार 

– संतुलित शाकाहारी भोजन के अलावा, आयरन और कैल्शियम गर्भवती महिला के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। गर्भवती स्त्रीयों को दूध, आयुर्वेदिक घी और मीठे मौसमी फलों के ताजा रस का सेवन करना चाहिए

– सूखे खजूर, पारंपरिक डंक/ गोंद (बबूल Gum) के लड्डू और खसखस ​​के जरिए कैल्शियम  लिया जा सकता है।

– आयरन और फोलिक एसिड के लिए, काली किशमिश, अंजीर, केसर, पालक, अनार और सेब का सेवन करें।

गर्भाधान पूर्व खाद्य पदार्थ

जो भी संभावित माता-पिता है उनके लिए, बादाम, पंचामृत और च्यवनप्राश आवश्यक हैं।

पंचामृत कैसे बनाये?

इसे हर दिन, अधिमानतः सुबह में, खाली पेट खाया जाना चाहिए। पंचामृत का अर्थ है पांच-अमृत, एक पारंपरिक, एवं अत्यंत पौष्टिक नुस्खा है। भगवान की पूजा में इसका बहुत महत्व माना गया है। यह आमतौर पर शक्ति प्रदान करता है, शक्ति बढ़ाता है, प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता है और मस्तिष्क को तरोताजा बनाता है। 

 

१ चम्मच दही (घर में बनाया जाने वाला) १  चम्मच चीनी, १ चम्मच शहद, २ चम्मच गाय का देसी घी, ८ चम्मच दूध (उबाल कर ठंडा किया हुआ) (दूध का फैट ना निकाले)। 

यह सारी सामग्री एक कटोरी में डालकर मिलाये और तुरंत सेवन करें।




हर महीने आहार का सुझाव

पहिला महीना: प्रथम माह में दूध का सेवन करना जरुरी है। यह दूध ना जादा गरम हो ना ठंडा। 

दूसरा महीना: एक कप दूध में शतावरी कल्प मिलाकर दिन में दो बार पिये। 

तीसरा महीना: एक कप दूध में एक चम्मच घी और एक चम्मच शहद मिला कर रोज सुबह पियें। 

चौथा महीना: दिन में १०  ग्राम घर का बना सफेद मक्खन खाएं। (बजार में मिलने वाला बटर नहीं।)

पाँच वे महीने: दिन में छह से सात चम्मच घी का सेवन करें

छह और सातवां महीना: मीठी जड़ी-बूटियों से तैयार किया घी १ चम्मच हर सुबह लिया जाता है। यह वैद या आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा तैयार किया जाता है। (आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें)

आठवां महीना: नाश्ते या दोपहर के भोजन के साथ एक कटोरी चावल, सूजी, गेहूं, या सेविया की खीर खानी जरुरी है। 

नववां महीना: सामान्य आहार ग्रहण करें।  दूध और घी का नियमित सेवन करें। 

घी का सेवन इन दिनों में विशेष महत्व रखता है। यह स्निग्धता प्रदान करता है एवं शौच साफ करवाता है। बच्चे के आकार को बड़ाते समय शौच संबंध मे परेशानी नहीं होती। 

प्रसव के बाद का आहार

दिन भर गुनगुना पानी पिएं।

खिचड़ी, हल्का सूप, दाल और चावल, भाकरी, रोटी और चपाती। हालिम (हलीव) खीर, हरी पत्तेवाली  सब्जियां,  कोई ग्रेवी नहीं। जब तक बच्चे को स्तनपान कराया जाता है तब तक बहुत तेल वाला, मसाले वाला आहार न लें। 

अस्वीकरण:-

घी हमेशा पारंपरिक, घर के बने देसी घी को संदर्भित करता है। 

यह जानकारी केवल एक सामान्य संकेतक है। माँ और बच्चे की आवश्यकताएँ अलग-अलग आधार पर भिन्न हो सकती हो सकती है। अपने चिकित्सक से परामर्श लें। 

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